Hindī nāṭaka para pāścātya prabhāva

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Lokabhāratī Prakāśana, 1966 - 491 pàgines

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अंगरेजी अथवा अधिक अपनी अपने अश्क आदि इन इब्सेन इस नाटक इस प्रकार इसी उनकी उनके उन्होंने उपयोग उपेन्द्रनाथ अश्क उस उसका उसकी उसके उसे एक एवं और कर करके करते करने के कला का प्रभाव कारण किन्तु किया है किसी की कुछ के इस के प्रति के लिए के लिये के साथ को लेकर गया है ग्रहण चरित्र चित्रण जयशंकर प्रसाद जी ने जीवन के जो तथा तो था दि दिया द्वारा नहीं नाटक के नाटक में नाटककार नाटककारों नाटकीय नाटकों नाटकों के नाट्य नाट्य शास्त्र पर पश्चिम के पाश्चात्य पाश्चात्य प्रभाव पृ० प्रकार के प्रगट प्रयोग प्रसाद जी प्रस्तुत प्रारम्भ फ्रांस बाद भारत भावना मनुष्य में भी मोलियर यह रचनाओं में रामकुमार वर्मा वह विचार विभिन्न विशेष शा शेक्सपियर शेक्सपियर के शैली संस्कृत सामाजिक साहित्य से स्थान स्वच्छन्दतावादी हम हिंदी हिन्दी हिन्दी साहित्य ही हुआ है हुए हुये है और है कि हैं हो होता है होने

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